शीर्ष अदालत द्वारा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का एक प्रावधान निरस्त करने के हालिया ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हुए मीरा कुमार ने कहा, ‘‘ सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि सभी क्षेत्रों में , चाहे वह राजनीति का क्षेत्र ही क्यों न हो वहां जो भी उचित है , वह होना चाहिए।उसी प्रयास के तहत उसने अपना फैसला दिया है।कोर्ट का प्रयास है कि सब जगह साफ सुथरा हो।मैं इस भावना की सराहना करती हूं।’’
उच्चतम न्यायालय ने इस फैसले में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के उस प्रावधान को निरस्त कर दिया जो सांसदों और विधायकों को अदालत में मामला लंबित रहने पर अयोग्यता से संरक्षण प्रदान करता है।
इसी तरह एक और फैसले में न्यायालय ने जनप्रतिनिधित्व कानून के एक अन्य प्रावधान की व्याख्या करते हुये जेल में रहते हुए चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित करने के पटना उच्च न्यायालय के निर्णय पर भी अपनी मुहर लगा दी है।इस फैसले के आलोक में एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफाम्र्स :एडीआर: और नेशनल इलेक्शन वाच :एनईडब्ल्यू: ने 4,807 मौजूदा सांसदों और विधायकों की ओर से दाखिल किए गए हलफनामों का विश्लेषण किया और पाया कि इनमें से 688 यानी 14 प्रतिशत ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले होने की घोषणा की है।संपादकीय सहयोग-अतनु दास